संदेश

जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पुष्पा in trend

अकेले है तो क्या गम है?

इधर -उधर के चक्कर में

लोग pls!पैसे नहीं मांगे

अच्छी खबरें नहीं आ रही जिससे निराश हूँ

ऐसा सपना देखा है मैंने

बचपन था तो सपने थे

बचपन में पढ़ती थी माधुरी

सौंदर्य भाव को स्वीकृति दिलाये थे राज साहब ने पर ये मर्यादित सौंदर्य था

राजकपूर थे स्वप्नदृष्टा निर्देशक

याद आते है मुझे V. शांताराम

मै भोर का सिनेमा लिखती हूँ

सिनेमा के सपने सँग जीवन बिता

कोरोना फैला है क्या करें अब

कल मुझे मध्य प्रदेश की लड़कियां मिल गईं

शायद लॉक डाउन लग जाये फिर

रच रही हूँ सुबह का सिनेमा

मुझे गोरखनाथ पर मूवी बनाना है

भोर का सिनेमा रचना है

हमें मासूम से सिनेमा की जरूरत है

भोर में उगे ध्रुव तारे जैसा सिनेमा

ये सुबह का सिनेमा है..

वो मेटिनी शो के दिन

सिनेमा का सम्मान करें!

आओ!सुबह का सिनेमा रचे!

बॉलीवुड फिर से उठ खड़ा होगा

ससुर और पति से मिली संघर्ष की प्रेरणा

बॉलीवुड से हूँ और उसके ही गुण गाती हूँ

फिर वंही लॉक डाउन

विंडसर

लगातार व्यस्ततावश नहीं लिख पा रही हूँ

आज ज्यादा नहीं लिख पाई

जिन्हें सिनेमा से प्यार होता है

क्यों रह जाता है अकेला सिनेमा रचने वाला

बेहद अकेला होता है सिनेमा रचने वाला

जो अभी तक किया गया है बेहद खास है

मेहनत तो सभी कर रहे है