राजकपूर थे स्वप्नदृष्टा निर्देशक

 पृथ्वीराज कपूर जिन्होंने थिएटर से शुरुआत की और दमदार किरदार किये जो कि ऐतिहासिक ज्यादा रहें उनके पुत्र राजकपूर ने अपने पिता के साथ देश का नाम भी रोशन किया.

महज 20साल की उम्र में R. K. स्टूडियो और अपनी कम्पनी की नींव रखी और काबिल लेखकों, गीतकार और संगीतकार की टीम बनाकर ऐसा सिनेमा रचा जो अद्भुत था.

जो सर्वकालिक है जो स्वप्नलोक में ले जाता है जंहा स्वप्न है और अपनी आकांक्षा से मिलने की एक उमंग है.

उनकी नायिकाओं के सौंदर्य में जो क्लासिक अपील थी वो सेक्स से परे थी या सेक्स भी अपनी वर्जनाओं के साथ था. बहुत ही शिष्ट और विनम्र किरदार को जिया राज जी ने और उन्होंने जो सफलता प्राप्त की जो स्थान भारतीय सिनेमा को दिलाया उस गरिमापूर्ण योगदान को भुलाना गलत होगा

आज भी राजकपूर के गीत, घर आया मेरा परदेशी आया 

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