सौंदर्य भाव को स्वीकृति दिलाये थे राज साहब ने पर ये मर्यादित सौंदर्य था

 राजकपूर हीरोइनों को जिस सेक्सी अवतार में पेश करते थे वो क्लासिक था उसमें बहुत ही मासूमियत होती थी और क्लाकृति जैसा सौंदर्य था.

उनकी नायिका जैसे अजन्ता की मूर्ति थी जो निष्पाप एवं निष्कलंक थी. बहुत ही गौरवशाली परम्परा का निर्वाह वो करते थे और उनमें सभ्यता के साथ विनम्रता थी.

संगीत ऐसा रचते थे कि लोग दीवाने हो जाते थे.

राजकपूर की फिल्मों पर लिखने बैठो तो एक किताब तैयार हो जायेगी.

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