विंडसर

 बात उन दिनों की है ज़ब 1989 में मै गीतकार बनने के सपने और अपने गानों की एक कॉपी लेकर मुंबई आई थी. यंहा फ़िल्म लाइन में कोई पहचान नहीं थी.

उन दिनों धरमजी बड़े स्टार हुआ करते थे. उनका सनी साउंड बहुत बड़ा डबिंग स्टूडियो था अब भी है किन्तु तब नया था. वंहा बड़ी गहमा -गहमी रहती थी बड़े स्टॉर्स का आना -जाना था. वंही मैंने धरमजी और देव साहब को देखा था.

वंही मै छोटे भाई और बेटे के साथ खड़ी थी तब एक आदमी जो युवा ही था ने मुझसे पूछा कि मै वंहा क्यों आई हूँ.

मैंने बताई कि मै एक गीतकार हूँ तब उसने कहा कि वो बड़े संगीतकार से हमें मिलाएगा तो हम उसके साथ हो लिए.

भीतर देव साहब के एक गाने की रिकॉर्डिंग हो रही थी कोई अच्छी गायिका ही थी तब और मै उस गाने की रिकॉर्डिंग को सुनकर बहुत इमोशनल होकर रोने लगी थी.

फिर विंडसर ने हमें एक ऑटो में बिठाला और जुहू सर्किल के आसपास घुमाने लगा. उसका हाथ मेरे हाथ से लग गया. मुझे अजीब सा लगा तो मैंने उससे चिढ़ कर कहा -यंहा कंहा म्यूजिक डायरेक्टर है हमें नहीं घूमना है.

तब उसने ऑटो के पैसे दिए और हम लोग अपनी राह हो लिए. इस तरह मै एक एक्स्ट्रा म्यूजिक कम्पोसर के जाल में फंसने से बच गईं.

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