संदेश

अकेले है तो क्या गम है?

इधर -उधर के चक्कर में

लोग pls!पैसे नहीं मांगे

अच्छी खबरें नहीं आ रही जिससे निराश हूँ

ऐसा सपना देखा है मैंने

बचपन था तो सपने थे

बचपन में पढ़ती थी माधुरी

सौंदर्य भाव को स्वीकृति दिलाये थे राज साहब ने पर ये मर्यादित सौंदर्य था

राजकपूर थे स्वप्नदृष्टा निर्देशक

याद आते है मुझे V. शांताराम

मै भोर का सिनेमा लिखती हूँ