सिनेमा देखने से शर्माते थे लोग
पहले -पहले लोग सिनेमा देखने को जाहिर नहीं करते और शर्माते थे. इसलिए छुप कर सिनेमा देखते थे घर में नहीं बताते थे क्योंकि लोगों की धारणा सिनेमा के प्रति यंही थी कि जाहिर नहीं करना है. जैसे लोग शराब पीने को छुपाते है वैसे.
जैसे कोई नशा हो ऐसे सिनेमा देखना जाहिर नहीं होने देते थे. अकेले ही सिनेमा जाते परिवार के साथ नहीं.
फिर सोच बदली और धार्मिक व ऐतिहासिक सिनेमा बनने लगा तो लोग घर -परिवार वालों को सिनेमा देखने ले जाते.
सम्पूर्ण रामायण और राजा हरीशचंद्र जैसी फिल्मों को देखने लोग परिवार सहित जाने लगे. इस तरह से धार्मिक सिनेमा की शुरुआत होने लगी थी.
लोगों की अवधारणा बदली और लोग सिनेमा को स्वीकार करने लगे. अब सिनेमा मनोरंजन का प्रमुख साधन बन गया.
इसके साथ ही सामाजिक सिनेमा की भी शुरुआत हुई.
@कॉपी राइट
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