style="text-align: left;">संजीव कुमार एक ऐसे कलाकार थे जिन्हें सम्पूर्ण कलाकार या एक्टर कहा जा सकता है.
हरी भाई जरिवाला यह उनका नाम था पर फ़िल्म इंडस्ट्री में ज़ब किस्मत आजमाने आये तो उन्होंने 3बार नाम बदला और आखिर में उन्होंने संजीव कुमार को फाइनल किया था.
स्वभाव से शालीन और मुस्कराते रहने वाले इस कलाकार की भीतर बहुत तन्हाई थी. और उन्हें जाने क्यों ये वहम था कि उनकी मृत्यु 50साल के पहले हो जायेगी. वो यंही दिल में लेकर चलते रहें और उन्होंने आखिरी वक़्त में बहुत शराब पीना शुरू कर दिया था जिससे उनके लिवर पर प्रभाव पड़ा था और डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाये.
काश वो अपने ऐसे वहम से निकल पाते क्योंकि मन में ज़ब हम कोई वहम पाल लेते है तो हमारे साथ हमेशा वैसे ही घटने लगता है. जैसे हम हमेशा कहते है.. नहीं पता क्या होगा?... तो एक नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है. इसके बदले हम यदि कहे कि सब ठीक होगा और जो भी होगा हम उसपर नियंत्रण कर सकेंगे और क्यों नहीं कर सकते? जबकि हमारे भीतर इस संसार को चलाने वाली शक्ति विद्यमान है जिसे आत्मा कहते है जिससे हम स्वास लेते है तो वो नित नवीन नूतन सकारात्मक शक्ति हमारे विश्वास से हमारा भला करती है क्योंकि हमारा उस पर विश्वास है हमारा यंही विश्वास हमें अच्छे कार्य को प्रेरित करता है इसलिए ऐसी शक्ति के रहते हमें निराश नहीं होना चाहिए और कभी भी हमें ऐसे निराश होकर नहीं बैठना चाहिए. ये जो जीवन है सकारात्मक प्रयासों का नतीजा है उसे सतत बनाये रखना चाहिए.
जबकि हेमा मालिनी से रिश्ता नहीं होने से संजीव कुमार निराश हुए थे और उन्होंने दुसरा प्रयास सफल नहीं होने दिया उन्होंने जिंदगी से ज्यादा अहमियत टूटे रिश्ते को दी. जबकि सुलक्षणा पंडित जैसी नायिका उनसे शादी के लिए इसरार करती रही उन्हें मनाती रही पर वो तैयार नहीं हुए और ज्यादा शराब पीने लग गए. पूरी तरह से नियंत्रणहीन जीवन जीने लग गए जो उनके स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं थी.
आखिर में संजीव कुमार असमय ज़ब काल -कलवित हुए तो सभी को बहुत चोट पहुंची थी. शत्रुघ्न सिन्हा तो 48घंटे उनकी मौत के बाद उनके शव के पास बैठे रह गए थे भाव -शून्य से क्योंकि संजीव कुमार की बहन अमेरिका से आने वाली थी.
शत्रुघ्न संजीव को इसलिए इतना चाहते थे कि एक बार उन्हें रुपयों की जरूरत थी तो वो अपना बंगला बेचने वाले थे तब उनकी बीबी पूनम ने बंगला नहीं बेचने दिया था. वो बहुत चिंतित थे तब संजीव कुमार ने पूछा था कारण और उनके पास बिना मांगे बिना शर्त 10लाख रूपये भेज दिए थे. शत्रुघ्न आजीवन इस उपकार को नहीं भूले थे. इसके पहले भी संजीव कुमार ने शत्रुघ्न और पूनम के बीच की तकरार को खत्म कर सुलह करा दी थी और उनका परिवार को टूटने से बचाया था ऐसा ही उन्होंने अमिताभ और जया के साथ भी किया था और उनकी दाम्पत्य जीवन को बचाया था.
भले ही संजीव असमय चले गए थे पर दर्शकों और दोस्तों को वो बहुत शानदार फ़िल्में और जानदार अभिनय की सौगात और दोस्ती की मिसाल देकर गए थे. गुलजार तो संजीव के जाने के बाद फ़िल्म ही बनाना छोड़ बैठे थे. ऐसे थे सदाबहार मुस्कराते रहने वाले संजीव कुमार जो अपनी मौत के इतने वर्षों बाद भी अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करते है. 🌹🌹
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