संदेश

बचपन में पढ़ती थी माधुरी

सौंदर्य भाव को स्वीकृति दिलाये थे राज साहब ने पर ये मर्यादित सौंदर्य था

राजकपूर थे स्वप्नदृष्टा निर्देशक

याद आते है मुझे V. शांताराम

मै भोर का सिनेमा लिखती हूँ

सिनेमा के सपने सँग जीवन बिता

कोरोना फैला है क्या करें अब

कल मुझे मध्य प्रदेश की लड़कियां मिल गईं

शायद लॉक डाउन लग जाये फिर

रच रही हूँ सुबह का सिनेमा

मुझे गोरखनाथ पर मूवी बनाना है