वाफीक नहीं हीरो पृथ्वीराज से

 अंग्रेजी में रचे -बसे लोग हिन्दू -संस्कृति का कैसा मज़ाक बना सकते है इसका नमूना है पृथ्वीराज फ़िल्म.

फ़िल्म में पृथ्वीराज को पढ़ा ही नहीं गया है तो फ़िल्म को विडिओ गेम की तरह बनाकर इतिहास को विकृत ही कर रहें है और इतिहास का संस्कृति से मिलन भी नहीं कराया फ़िल्म बकवास बन गईं है आधी -अधूरी सी फ़िल्म जो बड़े कैनवास की होनी थी सिमित कर दी गईं.

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