संदेश

याद आते है मुझे V. शांताराम

मै भोर का सिनेमा लिखती हूँ

सिनेमा के सपने सँग जीवन बिता

कोरोना फैला है क्या करें अब

कल मुझे मध्य प्रदेश की लड़कियां मिल गईं

शायद लॉक डाउन लग जाये फिर

रच रही हूँ सुबह का सिनेमा

मुझे गोरखनाथ पर मूवी बनाना है

भोर का सिनेमा रचना है

हमें मासूम से सिनेमा की जरूरत है

भोर में उगे ध्रुव तारे जैसा सिनेमा